झरोखा
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हाड मांस के पुतले में
हवा पानी बेशक जरूरत
पर संसार को देखे कैसे
बिन तन पर पाए झरोखा
बंगला , कोठी , महल , झोपडी
गर्मी, सर्दी, वर्षा से करे बचाव
पर कोई नही बसेगा उसमे
गर ना हो उसमे एक झरोखा
सोच सोच के सोच को अपनी
उंची उड़ान नित् भरनी है
कैसे संभव होगा यह भी
बंद अगर मन का झरोखा
संदीप पांडे”शिष्य” अजमेर