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5 Apr 2021 · 1 min read

जो इश्क मुकम्मल करते हैं

जो इश्क मुकम्मल करते हैं
वह एक तरफा भी करते हैं !

वह इश्क इश्क ही करते हैं
नहीं सौदेबाजी करते हैं ।।

अपने दिल के इन भावों को
इस कविता में हम गडते हैं !

जो इश्क मुकम्मल करते हैं
वह एक तरफा भी करते हैं।।

हो जाएं सखियां यू मंत्रमुग्ध
तुम बंसी मधुर सुना जाओ।

तुम आ जाओ प्रभु आ जाओ
अविरल इंतजार हम करते हैं।।

✍कवि दीपक सरल

Language: Hindi
1 Like · 377 Views
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