जीवन
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शीर्षक – जीवन
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सच तो यही जीवन लगता हैं। ईश्वर और मानव समाज जीवन कहता है। संसारिक मोह-माया आकर्षण ही होता हैं। जीवन में माया और काया संग होती हैं। बस हम सभी जानते जीवन के सच है। जीवन बस एक उम्मीद और आशाएं हैं। सच तो जीवन अकेले ही आना जाना हैं। बस न सोच कल की रात आज रहती हैं। जीवन में उम्मीद हम सुबह की रखतें हैं। हकीकत और सच हम आपसे कहते हैं।
रंगमंच पर हम सभी बस अहम भूमिका निभाते हैं।
जीवन और जिंदगी हम सभी समझते हैं।
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नीरज अग्रवाल चंदौसी उ.प्र