Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
12 Jan 2023 · 1 min read

जीवन के दिन थोड़े

अहम भले हो लाख करोड़ों,
पर औकात शून्य से भी कम।
यह गिनती नर समझ न पाया,
इस कारण सहता है गम।

सन्त कबीरा वचन सुनाया,
ज्यादा मत तू चुलबुला।
बस इतना अस्तितव है तेरा,
ज्यों पानी का बुलबुला।

चंदा के संग टिम टिम करते,
तारे रजनी भर इतरात।
सब विलुप्त हो जाते पल में,
जब भी हो जाता प्रभात।

मद के कारण कुल संग मिट गया,
सब तप पूण्य गवांता।
रावण में यदि अहम न होता,
देव तुल्य पूजा पाता।

करें विचार अहम को त्यागें,
हरि से नाता जोड़े।
जो दिखता सब मिट जायेगा,
जीवन के दिन थोड़े।

-सतीश सृजन, लखनऊ.

Language: Hindi
Tag: कविता
1 Like · 47 Views
You may also like:
याद आते हैं वो
याद आते हैं वो
रोहताश वर्मा मुसाफिर
हिंदी
हिंदी
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
परिवर्तन की राह पकड़ो ।
परिवर्तन की राह पकड़ो ।
Buddha Prakash
#ग़ज़ल
#ग़ज़ल
आर.एस. 'प्रीतम'
लौट आये पिता
लौट आये पिता
Kavita Chouhan
Finally, the broken souls have found each other.
Finally, the broken souls have found each other.
Manisha Manjari
प्रवाह में रहो
प्रवाह में रहो
Rashmi Sanjay
Advice
Advice
Shyam Sundar Subramanian
रुद्रा
रुद्रा
Utkarsh Dubey “Kokil”
मुक्तक
मुक्तक
Rajkumar Bhatt
💐प्रेम कौतुक-446💐
💐प्रेम कौतुक-446💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
शीत ऋतु
शीत ऋतु
डॉ प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम
رَہے ہَمیشَہ اَجْنَبی
رَہے ہَمیشَہ اَجْنَبی
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
जब चलती पुरवइया बयार
जब चलती पुरवइया बयार
श्री रमण 'श्रीपद्'
यह रूठना मनाना, मनाकर फिर रूठ जाना ,
यह रूठना मनाना, मनाकर फिर रूठ जाना ,
कवि दीपक बवेजा
सब छोड़कर अपने दिल की हिफाजत हम भी कर सकते है,
सब छोड़कर अपने दिल की हिफाजत हम भी कर सकते...
Vaishnavi Gupta (Vaishu)
मेरे मौलिक विचार
मेरे मौलिक विचार
डॉ.एल. सी. जैदिया 'जैदि'
इतनी सी बात पे
इतनी सी बात पे
Surinder blackpen
है नारी तुम महान , त्याग की तुम मूरत
है नारी तुम महान , त्याग की तुम मूरत
श्याम सिंह बिष्ट
चम-चम चमके, गोरी गलिया, मिल खेले, सब सखियाँ
चम-चम चमके, गोरी गलिया, मिल खेले, सब सखियाँ
Er.Navaneet R Shandily
*पाकिस्तान में रह गए हिंदुओं की पीड़ा( तीन* *मुक्तक* )
*पाकिस्तान में रह गए हिंदुओं की पीड़ा( तीन* *मुक्तक* )
Ravi Prakash
"जान-बूझकर
*Author प्रणय प्रभात*
यह सागर कितना प्यासा है।
यह सागर कितना प्यासा है।
Anil Mishra Prahari
अगर तेरी बसारत में सिर्फ एक खिलौना ये अवाम है
अगर तेरी बसारत में सिर्फ एक खिलौना ये अवाम है
'अशांत' शेखर
सफर में उनके कदम चाहते है।
सफर में उनके कदम चाहते है।
Taj Mohammad
बुखारे इश्क
बुखारे इश्क
अभिषेक पाण्डेय ‘अभि’
पूछता है भारत
पूछता है भारत
Shekhar Chandra Mitra
उठो युवा तुम उठो ऐसे/Uthao youa tum uthao aise
उठो युवा तुम उठो ऐसे/Uthao youa tum uthao aise
Shivraj Anand
"उस इंसान को"
Dr. Kishan tandon kranti
३५ टुकड़े अरमानों के ..
३५ टुकड़े अरमानों के ..
ओनिका सेतिया 'अनु '
Loading...