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26 Dec 2022 · 1 min read

“ जीने का अंदाज़ “

डॉ लक्ष्मण झा परिमल

===================

जीना मैं

चाहता हूँ

कुछ करना

मैं चाहता हूँ

नयी जिंदगी

के अंदाज़ को

अपने में

उतरना चाहता हूँ

कभी अपनी

कविता से

अटखेलियाँ

करता रहता हूँ

सत्यम ,शिवम और सुंदरम

के गीतों को

गुनगुनाता हूँ

कला के प्रदर्शन में

मैं कभी पीछे

नहीं हटता हूँ

कला कोई

देखे या ना देखे

कलाबाज़ी

रोज़ मैं करता हूँ

नारी उत्पीड़न ,

सामाजिक विषमता

का उल्लेख

लेखनी में करता हूँ

धार्मिक असहिष्णुता ,

बेरोजगारी और भूखमरी

के खिलाफ

सदा लड़ता हूँ

जब तक मैं

इस रंगमंच हूँ

आपका मनोरंजन

करता रहूँगा

अपनी सजगता

और शालीनता का

मंत्र सदा पढ़ता रहूँगा !!

=================

डॉ लक्ष्मण झा परिमल

साउन्ड हेल्थ क्लिनिक

एस पी कॉलेज रोड

दुमका

झारखंड

भारत

26.12.2022.

Language: Hindi
Tag: कविता
46 Views
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