*जिंदगी को वह गढ़ेंगे ,जो प्रलय को रोकते हैं*( गीत )

*जिलाधिकारी रामपुर द्वारा आयोजित कविता प्रतियोगिता* में मेरी रचना को आज दिनांक 9 मई 2020 को *सराहनीय* शब्द से प्रोत्साहित किया गया । आभारी हूँ। प्रतियोगिता में दी गई पंक्ति इस प्रकार थी:-
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*जिंदगी को वह गढ़ेंगे ,जो प्रलय को रोकते हैं*
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इसी को आधार बनाकर कविता आगे बढ़ाने थी । मैंने इस प्रकार लिखा:-
(1)
हम आँधियों में दीप को ,आओ जलाना सीख लें
अँधियार के भी बीच रह ,सूरज बुलाना सीख लें
जान लें हम रात के ,साम्राज्य में अमृत नहीं है
अस्त होकर भी उदय हो ,सूर्य का क्या व्रत नहीं है?
जीत उनके नाम समझो , निज शिथिलता टोकते हैं
जिंदगी को वह गढ़ेंगे ,जो प्रलय को रोकते हैं
.(2)
शत्रु से ताकत लगाकर ,कूदना रण में सही है
जो पराजित हो गया वह , यश कभी पाता नहीं है
धैर्य के हथियार ही से ,शत्रु बलशाली मरेगा
जीत उसको ही मिलेगी ,साँस जो अंतिम लड़ेगा
युग नया वह ही रचेंगे ,पीठ खुद की ठोकते हैं
जिंदगी को वह गढ़ेंगे , जो प्रलय को रोकते हैं
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*रचयिता ,: रवि प्रकाश , बाजार सर्राफा*
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 999761 5451