“जागरण”
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“जागरण”
सुधार की सम्भावना कभी खत्म नहीं होती। जिस दिन इंसान जाग जाता है, उसी दिन से नया सवेरा होता है। वरना अंगुलिमाल जैसा डाकू का हृदय परिवर्तन होकर वह तथागत बुद्ध के शिष्य न बनते।
– डॉ. किशन टण्डन क्रान्ति
“जागरण”
सुधार की सम्भावना कभी खत्म नहीं होती। जिस दिन इंसान जाग जाता है, उसी दिन से नया सवेरा होता है। वरना अंगुलिमाल जैसा डाकू का हृदय परिवर्तन होकर वह तथागत बुद्ध के शिष्य न बनते।
– डॉ. किशन टण्डन क्रान्ति