Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
20 Dec 2022 · 1 min read

ज़मानें हुए जिसको देखे हुए।

ज़मानें हुए जिसको देखे हुए।
वो नज़र भी कहीं आता नहीं हैं।।
मेरी रूह में अभी भी बसा है।
दिल जिसे कभी भूलता नहीं हैं।।1।।

कोशिशें तो हमनें की है बहुत।
चाहत का निशा मिटता नहीं है।।
दुआयें भी अब मैं करता नहीं।
ये खुदा भी मेरी सुनता नहीं है।।2।।

मत पूंछो हमसे आशिकी का।
ये नशा दिलसे उतरता नहीं है।।
खुदकुशी नहीं ये दीवानगी है।
परवाना ऐसे तो जलता नहीं है।।3।।

शराबी ना कहो उस शख्स को।
मैकदे में शौक से जाता नहीं है।।
दर्दे मोहब्बत है उसके सीने में।
नशे में कुछ याद आता नहीं है।।4।।

ताज मोहम्मद
लखनऊ

2 Likes · 48 Views
You may also like:
ईर्ष्या
ईर्ष्या
Shyam Sundar Subramanian
ਅੱਜ ਮੇਰੇ ਲਫਜ਼ ਚੁੱਪ ਨੇ
ਅੱਜ ਮੇਰੇ ਲਫਜ਼ ਚੁੱਪ ਨੇ
rekha mohan
पुस्तक समीक्षा
पुस्तक समीक्षा
Ravi Prakash
प्रभु की शरण
प्रभु की शरण
सुरेन्द्र शर्मा 'शिव'
Writing Challenge- आने वाला कल (Tomorrow)
Writing Challenge- आने वाला कल (Tomorrow)
Sahityapedia
दुर्योधन कब मिट पाया:भाग:39
दुर्योधन कब मिट पाया:भाग:39
AJAY AMITABH SUMAN
ञ माने कुछ नहीं
ञ माने कुछ नहीं
Satish Srijan
साल जो बदला है
साल जो बदला है
Dr fauzia Naseem shad
हे, मनुज अब तो कुछ बोल,
हे, मनुज अब तो कुछ बोल,
डी. के. निवातिया
फ़साना-ए-उल्फ़त सुनाते सुनाते
फ़साना-ए-उल्फ़त सुनाते सुनाते
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
The Rope Jump
The Rope Jump
Buddha Prakash
💐साधनम् -नित्यं सत्यं च💐
💐साधनम् -नित्यं सत्यं च💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
कितने मादक ये जलधर हैं
कितने मादक ये जलधर हैं
डा. सूर्यनारायण पाण्डेय
इजाजत है अगर मुझे प्यार करने की
इजाजत है अगर मुझे प्यार करने की
Ram Krishan Rastogi
//स्वागत है:२०२२//
//स्वागत है:२०२२//
Prabhudayal Raniwal
दर्द: एक ग़म-ख़्वार
दर्द: एक ग़म-ख़्वार
Aditya Prakash
हिंदी दोहा विषय- विजय*
हिंदी दोहा विषय- विजय*
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
जाने कितने ख़त
जाने कितने ख़त
Ranjana Verma
मुझे लौटा दो वो गुजरा जमाना ...
मुझे लौटा दो वो गुजरा जमाना ...
ओनिका सेतिया 'अनु '
जियो तो ऐसे जियो
जियो तो ऐसे जियो
Shekhar Chandra Mitra
गुमनाम ही रहने दो
गुमनाम ही रहने दो
VINOD KUMAR CHAUHAN
# पैगाम - ए - दिवाली .....
# पैगाम - ए - दिवाली .....
Chinta netam " मन "
यह मन
यह मन
gurudeenverma198
बैठ पास तू पहलू में मेरे।
बैठ पास तू पहलू में मेरे।
Taj Mohammad
मेनाद
मेनाद
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
ज़ख़्म दिल का
ज़ख़्म दिल का
मनोज कर्ण
ऐसा खेलना होली तुम अपनों के संग ,
ऐसा खेलना होली तुम अपनों के संग ,
कवि दीपक बवेजा
*
*"काँच की चूड़ियाँ"* *रक्षाबन्धन* कहानी लेखक: राधाकिसन मूंदड़ा, सूरत।
radhakishan Mundhra
LIFE has many different chapters. One bad chapter does not m
LIFE has many different chapters. One bad chapter does not...
सोनम राय
■ मुद्दा / पूछे जनता जनार्दन...!!
■ मुद्दा / पूछे जनता जनार्दन...!!
*Author प्रणय प्रभात*
Loading...