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2 Feb 2023 · 1 min read

ज़ख्म सिल दो मेरा

एक ज़ख्म सिल दो मेरा, नासूर बन गया है।
करके वादा न निभाना, दस्तूर बन गया है।

किसी के दिल का दर्द,समझता है यहां कौन
रातों को उठ उठ कर रोना, फितूर बन गया है।

बेवफाई के किस्से, दुनिया से छिपाये हम कैसे
इश्क़ मेरे का एक एक पल, मशहूर बन गया है।

हर शख्स सजायाफ्ता,हर शख्स कैद में है
गुनाह न करना भी यहां,कसूर बन गया है।

सुरिंदर कौर

Language: Hindi
37 Views
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