वक्त अब कलुआ के घर का ठौर है
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कबड्डी खो -खो का बीता दौर है |
गाँव में अब जुआड़ियों का शोर है |
सूना मुखिया-द्वार सूनी डेहरी |
वक्त अब कलुआ के घर का ठौर है |
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पं बृजेश कुमार नायक
“जागा हिंदुस्तान चाहिए” ,”क्रौंच सु ऋषि आलोक” एवं “पं बृजेश कुमार नायक की चुनिंदा रचनाएं” कृतियों के प्रणेता
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