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26 Mar 2017 · 1 min read

जब वफ़ा पर सवाल होता है

जब वफ़ा पर सवाल होता है
तब बुरा दिल का’ हाल होता है

जब तलक हम सँभल नहीं पाते
फिर नया इक बवाल होता है

याद आता है बचपना जब भी
फिर वही सब धमाल होता है

कौन कितना हिसाब रक्खेगा
रोज ही गोलमाल होता है

दौर दौरों का’ चल पड़ा है अब
रोज कोई हलाल होता है

कौन आता है’ रोज यूँ छत पर
बारिशों में कमाल होता है

हाल होता ख़राब शहरों का
चोर जब कोतवाल होता है

बात से घात मत कभी करिए
बाद में फिर मलाल होता है

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Books from बसंत कुमार शर्मा

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