जब प्रेम की परिणति में
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जब प्रेम की परिणति में
अग्नि-परीक्षा हीं धरी,
फिर वचन क्या,फेरे भी क्या
मेरा तुम्हारा साथ क्या
जन्मों जनम की बात क्या,,
संदेह है तो प्रेम क्या
आपस का कुशल क्षेम क्या
पूछी न मन पीड़ा कभी
फिर हाथ में है हाथ क्या,
जन्मों जनम की बात क्या।