जब जब मुझको हिचकी आने लगती है।
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गज़ल
22…..22…..22…..22…..22…..2
जब जब मुझको हिचकी आने लगती है।
तब तब तेरी याद सताने लगती है।
दर्दे जिगर की बातें जब भी कहता हूॅं,
खुद अपने वो ज़ख्म दिखाने लगती है।
नाराज़ी में जब भी उससे बात करूं,
मुझ पर अपना प्यार लुटाने लगती है।
सबको खाना खिला दिया तुम भी खा लो,
बहुत भरा है पेट बताने लगती है।
आपकी खुशियों के खातिर धीरे धीरे,
मां जीवन में गम भी खाने लगती है।
देख न ले उसको कोई ग़म में यारो,
रोते रोते भी वो गाने लगती है।
प्रेम गली से जब जब गुजरे हैं प्रेमी,
चुपके चुपके प्यार जताने लगती है।
………✍️ सत्य कुमार प्रेमी