जग जननी है जीवनदायनी
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जग जननी है जीवनदायनी ।।
करती सबसे अच्छा व्यवहार,
रखें हम मानव इसका ख्याल,
ना करे संसाधन बर्बाद,
सीमित ये सम्पदा है अपनी,
अन्यथा हो जाएगी जल्द ही समाप्त।
बोलो फिर तुम क्या करोगे ?
कैसे जी पाओगे?
जीवन बचाओगे अपना तुम,
प्रकृति के सब है कर्जदार,
इस धरा का उपकार ना भुला पाओगे।
जग जननी है जीवनदायनी ।।
अगर यही पर तुम प्रदूषण फैलाओगे,
छोड़ इस धरा को कहा जाओगे ?
नहीं बचेगा आगे आने वाले,
बच्चों का भविष्य !
पछतावा ही रह जाएगा साथ तुम्हारे।
अभी से हो जाओ जागरूक,
यह बात भली भांँति हर जन को समझाओ,
एक अभियान चलाओ,
प्रदूषण के विपरीत,
गाओ नारा “सचेत हो पर्यावरण के अनुकूल” ।
जग जननी है जीवनदायनी ।।
🙏 बुद्ध प्रकाश,
मौदहा हमीरपुर।