जख्म भी रूठ गया है अबतो
![](https://cdn.sahityapedia.com/images/post/245f020ed28839d50b77fcb6cb66f279_c5d0561984237f3ab0a042b4302a9a6c_600.jpg)
जख्म भी रूठ गया है अबतो
धोखेबाजी पे उतर आया है
रूह में जगह दी,कभी कभार – तवज्जो दिया
फिर भी जेहन को कुतर आया है
-सिद्धार्थ गोरखपुरी
जख्म भी रूठ गया है अबतो
धोखेबाजी पे उतर आया है
रूह में जगह दी,कभी कभार – तवज्जो दिया
फिर भी जेहन को कुतर आया है
-सिद्धार्थ गोरखपुरी