Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
10 Oct 2022 · 3 min read

*चोरी के बाद (व्यंग्य)*

*चोरी के बाद (व्यंग्य)*
“”””””””””””””””””””””””””””””””””””””””””””””””
प्रकाशन तिथि : अमर उजाला 1-10-89
“”””””””””””””””””””””””””””””””””””””””””””””””
इस व्यंग्य पर अमर उजाला से ₹75 की धनराशि पारिश्रमिक के रूप में प्राप्त हुई थी। लेख की प्रासंगिकता अभी भी कम नहीं हुई है। प्रस्तुत है व्यंग्य “चोरी के बाद”
लेखक : रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा ,रामपुर ( उत्तर प्रदेश ) मोबाइल 99976 15451
“”””””””””””””””””””””””””””””””””””””””””””””””
दोष तो उसका है जिसके चोरी हुई है। उसी को पलिस पकड़ेगी। यह भी है कि पकड़ में सबसे पहले वही आदमी आता है जिसके घर पर चोरी हुई है। जो थाने में रपट लिखाने गया, पुलिस ने धर लिया और बैठा रहा। क्यों भाई साहब ! आप घर में इतना सामान रखते ही क्यों हैं कि वह चोरी
हो जाये? सामान कम रखिये ताकि चोरी से बचा जा सके। या यह कि अब जबकि सामान कछ बचा ही नहीं और इस तरह आप चोरी से पूर्णतः सुरक्षित हैं । जाकर चैन से सोइये। लोग नहीं मानते और जाकर थानेदार को जगाते हैं कि हमारे चोरी हो गयी है।
कितने शर्म की बात है कि लोगों के घर
चोरी हो जाती है और वह सोते रहते हैं। उस पर सुबह-सुबह पुलिस की नींद खराब करते हैं। मैं तो पूछता हूं कि आप क्या कर रहे थे उस समय जब चोरी हो रही थी ? मतलब यह कि कहाँ थे ?
घर में थे, तो किस कमरे में ? कपड़े क्या क्या पहूनकर सोये थे ? कमरे की बिजली जल रही थी कि नहीं? रात में पानी पीने या पेशाब करने उठे कि नहीं ? चोर आपको नहीं दिखा, मगर क्यों ? सब बातों के जवाब सोच कर दीजिये। क्या वाकई चोरी हुई थी ?
याद कीजिये, कहीं आप सामान
कहीं और तो नहीं भूल गये ? आपका शक किस पर है ? हमारा शक तो पहले आप पर ही है। आपके घर चोरी हो गयी और
आप रो नहीं रहे हैं। संदेह से होगा ही ! खैर,
आपके भाई कितने हैं ? उन्हें बलाइए, उनसे
पूछताछ होगी। रिश्तेदारों पर भी शक हो ही रहा है। आपके मिलने वाले पिछले एक साल में कितने आये ? उनकी एक लिस्ट बना कर दीजिये। हम एक महीने के अन्दर घर की तलाशी जरूर लेंगे। नौकरों के तो बाप को भी पुलिस नहीं बख्शेगी। जब थाने में हंटर पड़ेंगे तो खुद उगल जायेंगे। पुलिस ने न जाने कितने निरपराध थानों
में मार-मार कर लहूलुहान किये हैं । यह नौकर तो चीज क्या हैं?
खैर छोड़िये। ठंडा पिलाइये । फिर चर्चा होगी । तब तक आप यहीं बैठिये। आप दुकान-दफ्तर जाने का विचार तो कम से कम एक महीने तक छोड़ ही दीजिये। आपसे रोज सुबह – दोपहर
– शाम सिपाही चोरी के विषय पर चर्चा करने और ठंडा पीने आया करेंगे। चोरी की चर्चा पलिस का प्रिय विषय है। यह पुलिस के लिए तात्विक चर्चा का विषय है । जैसे कोर्स की किताब पढ़ी या प्रोफेसर का लेक्चर सुना, या घर बैठे नोट्स तैयार
कर लिये, वैसे ही यह एक्शन का नहीं रियेक्शन का विषय है।
मानना पड़ेगा कि आप तो बड़े मुर्ख निकले कि अपने घर चोरी करा दी । यार, खुद तो मकान ठीक से रखते नहीं, दोष चोरों को देते हैं। जब दीवार नीची थी तो चोर तो छलांग लगाकर आते ही । दीवार जब कमजोर थी तो चोर उसे तोड़ कर अन्दर कैसे नहीं घुसते ? जमीन पोली थी
इस लिये सुरंग बन गयी । माल रखा था तो चोरी हो गया। अलमारी के ताले खुल सकने योग्य क्यों थे कि खुल गये और चोरी हो सकी ? गर्ज यह कि आप कैसे निकम्मे, जाहिल और लापरवाह हैं कि
आपके घर चोरी हो गयी।
फिर भी पुलिस आपके प्रति सांत्वना
प्रकट करती है । बड़े अफसोस की बात है कि चोर आपको बेवकफ और उल्लू बना गये। खूब गधे बने आप। खैर ,अब थाने चलिये, या ऐसा है कि यहाँ से चालीस किलोमीटर दूर कुछ माल जो निश्चय ही
आपका नहीं होगा, पर पकड़ा गया है। आप
उसकी शिनाख्त करने चलिये। दूकान-दफ्तर
मत जाइये। चोरों की तलाश, चोरी के माल की तलाश में ढूंढिये । थाने के चक्कर काटिये। पुलिस कोशिश कर रही है, विश्वास रखिये यही करेगी।
भाई साहब, आप तो आये दिन ऐसे सिर पर चढ़े आ रहे हैं, जैसे अकेले आपके ही घर पर पहली बार चोरी हुई हो ! शहर में और भी तो हजारों हैं, जिनके घर चोरी हुई और जिन्होंने पुलिस को नमस्कार करके घर पर बैठना ही अन्त में बेहतर समझा। आखिर चोर भी इंसान है और पुलिस भी इंसान है। फिर, इंसानी भाईचारा भी कोई चीज है कि नहीं ?

68 Views

Books from Ravi Prakash

You may also like:
Advice
Advice
Shyam Sundar Subramanian
छठ पर्व
छठ पर्व
Varun Singh Gautam
मंजिल का ना पता है।
मंजिल का ना पता है।
Taj Mohammad
कौन सी खूबसूरती
कौन सी खूबसूरती
जय लगन कुमार हैप्पी
पेड़ पौधों के प्रति मेरा वैज्ञानिक समर्पण
पेड़ पौधों के प्रति मेरा वैज्ञानिक समर्पण
Ankit Halke jha
असर-ए-इश्क़ कुछ यूँ है सनम,
असर-ए-इश्क़ कुछ यूँ है सनम,
Amber Srivastava
■ शब्दों संसार
■ शब्दों संसार
*Author प्रणय प्रभात*
नेहा सिंह राठौर
नेहा सिंह राठौर
Shekhar Chandra Mitra
पिता आदर्श नायक हमारे
पिता आदर्श नायक हमारे
Buddha Prakash
Writing Challenge- रेलगाड़ी (Train)
Writing Challenge- रेलगाड़ी (Train)
Sahityapedia
सरस्वती बुआ जी की याद में
सरस्वती बुआ जी की याद में
Ravi Prakash
अपनी बेटी को
अपनी बेटी को
gurudeenverma198
जो ना होना था
जो ना होना था
shabina. Naaz
मैं उसी पल मर जाऊंगा
मैं उसी पल मर जाऊंगा
श्याम सिंह बिष्ट
शून्य से शून्य तक
शून्य से शून्य तक
Dr fauzia Naseem shad
वह मौत भी बड़ा सुहाना होगा
वह मौत भी बड़ा सुहाना होगा
Aditya Raj
" निरोग योग "
Dr Meenu Poonia
✍️सियासत का है कारोबार
✍️सियासत का है कारोबार
'अशांत' शेखर
अगर एक बार तुम आ जाते
अगर एक बार तुम आ जाते
Ram Krishan Rastogi
💐प्रेम कौतुक-341💐
💐प्रेम कौतुक-341💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
आशा निराशा
आशा निराशा
सूर्यकांत द्विवेदी
जमाने की साजिशों के आगे हम मोन खड़े हैं
जमाने की साजिशों के आगे हम मोन खड़े हैं
कवि दीपक बवेजा
जब सिस्टम ही चोर हो गया
जब सिस्टम ही चोर हो गया
आकाश महेशपुरी
होली के त्यौहार पर तीन कुण्डलिया
होली के त्यौहार पर तीन कुण्डलिया
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
Dont judge by
Dont judge by
Vandana maurya
नारी
नारी
डॉ प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम
अंधेरों में मुझे धकेलकर छीन ली रौशनी मेरी,
अंधेरों में मुझे धकेलकर छीन ली रौशनी मेरी,
Vaishnavi Gupta (Vaishu)
शेर
शेर
Rajiv Vishal
चाहत
चाहत
Dr Archana Gupta
कस्तूरी मृग
कस्तूरी मृग
Ashish Kumar
Loading...