“चिढ़ अगर भीगने से है तो
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“चिढ़ अगर भीगने से है तो
छतरी, बरसाती, रेन-कोट जैसे
पाखण्ड भी क्यों…?
बैठो अपनी कोठरी में
चैन से दुबक कर।”
■प्रणय प्रभात■
“चिढ़ अगर भीगने से है तो
छतरी, बरसाती, रेन-कोट जैसे
पाखण्ड भी क्यों…?
बैठो अपनी कोठरी में
चैन से दुबक कर।”
■प्रणय प्रभात■