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22 Jan 2017 · 1 min read

चार सेदोका

प्रदीप कुमार दाश “दीपक”
—————–
चार सेदोका
01.
ईश की धुन
जीवन एक थाप
मन रागिनी सुन
पाखी की भाँति
तृण-तृण को चुन
गुना सृजन गुन ।
—-00—-
02.
दीप से मिला
प्रेम की पराकाष्ठा
दीप बना निर्मम
प्राण अर्पण
प्रेम हुआ अमर
जल उठा पतंग ।
—-00—-
03.
माँ केवल माँ
नहीं चाहिए उसे
व्यर्थ कोई उपमा
गुम जाती है
“उप”उपसर्ग से
माँ की वह महिमा ।
—-00—-
04.
दीप जलाएँ
तम को पी जाने का
आओ हूनर सीखें
जगमगाएँ
तम से लड़ कर
आओ राह दिखाएँ ।
—-000—-
– प्रदीप कुमार दाश “दीपक”
मो.नं. – 7828104111
pkdash399@gmail.com

Language: Hindi
Tag: कविता
318 Views

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