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16 Jul 2024 · 1 min read

“चाटुकारिता में दिन गुज़रे, सुखद स्वप्न में बीते रात।

“चाटुकारिता में दिन गुज़रे, सुखद स्वप्न में बीते रात।
इससे आगे और नहीं है, बगुला-भक्तों की औक़ात।।”

🙅प्रणय प्रभात🙅

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