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15 Aug 2023 · 1 min read

*चले जब देश में अनगिन, लिए चरखा पहन खादी (मुक्तक)*

चले जब देश में अनगिन, लिए चरखा पहन खादी (मुक्तक)
—————————————
चले जब देश में अनगिन, लिए चरखा पहन खादी
तभी अंग्रेज ने सोचा, यहॉं रुकने में बर्बादी
लगे ‘जय हिंद’ के नारे, कटे सिर देश की खातिर
गला जब जेल में यौवन, मिली तब जा के आजादी
—————————————-
रचयिता : रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा, रामपुर, उत्तर प्रदेश
मोबाइल 99976154 51

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