चले आना मेरे पास
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चले आना मेरे पास,
और तुम आवोगे एक दिन,
जरूर मेरे पास,
चाहे मुझसे अपना हाथ छुड़ाने के लिए,
मुझको अपनी हस्ती दिखाने के लिए,
या फिर खेद जताने के लिए,
अफसोस करके अपनी कथनी और करनी पर।
चले आना मेरे पास,
क्योंकि होगी तब इतनी ही,
मेरी प्रसिद्धि और मेरी तारीफ,
अपनी सजा को माफ करवाने के लिए,
मन की शांति के लिए,
गुम हुई रोशनी की तलाश के लिए,
अपनी जन्नत की गुलजारी के लिए,
अपने शेष सपनों की मुक़म्मली के लिए।
चले आना मेरे पास,
और क्या करुंगा मैं इन सभी का,
जो कि बना रहा हूँ मैं आज,
अपना खून – पसीना बहाकर,
यह दौलत- शौहरत और महल,
महका जो रहा हूँ यह चमन,
अपने आँसुओं से सींचकर,
किसके लिए है यह सब, बोलो।
चले आना मेरे पास तुम———————–।।
शिक्षक एवं साहित्यकार-
गुरुदीन वर्मा उर्फ जी.आज़ाद
तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान)