घड़ी घड़ी में घड़ी न देखें, करें कर्म से अपने प्यार।
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घड़ी घड़ी में घड़ी न देखें, करें कर्म से अपने प्यार।
पता नहीं कब घड़ी आखिरी, आए छूट जाय संसार।।
मूल्य समय का पहचानें हम, जीवन-मूल्य नहीं भूलें,
बंद घड़ी भी देती हमको, प्रतिदिन सही समय दो बार।।
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महेश चन्द्र त्रिपाठी