गोरी का झुमका
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लगे जैसे झुमका गिरा हो जैसी गोरी का ।
अल्हड़,मस्त, प्यारी सी किसी छोरी का।
कर रही होगी अठखेलियां अपने साजन से।
जा गिरा होगा दूर छिटक कर कानन से।
ऐसे लागे है ये चांद ,हीरे संग है मोती जड़ा
या कहिये यूं कहीं, रूठ के है साजन खड़ा।
ढूंढ रहा होगा वो भी, सजनिया की बाली।
बोला है प्रियतमा ने ,न आना हाथ खाली।
आसमां से छलकता,किसी नूर की तरह
झुमका बनाये तुम्हें,एक हूर की तरह।
सुरिंदर कौर