गाती हैं सब इंद्रियॉं, आता जब मधुमास(कुंडलिया)
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गाती हैं सब इंद्रियॉं, आता जब मधुमास(कुंडलिया)
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गाती हैं सब इंद्रियॉं, आता जब मधुमास
भरती नई उमंग है ,भरता जब तन श्वास
भरता जब तन श्वास, काम लेता ॲंगड़ाई
चैत और बैसाख , वसंती ऋतु कहलाई
कहते रवि कविराय ,मधुर मस्ती है छाती
नर्तन करती देह ,मास-द्वय ऋतु जब आती
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रचयिता : रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99976 15451