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5 Oct 2016 · 1 min read

ग़जल:- आँखे लाल चहरा उदास आज पढ़ ने ना कोई/मंदीप

आँखे लाल चहरा उदास आज पढ़ ले ना कोई/मंदीप

आँखे लाल चहरा उदास आज पढ़ ले ना कोई,
छुप रहा हूँ अपनों में कहि देख ले ना कोई।

अब रो-रो कर बच गई सिर्फ सुबकिया,
हँस रहा हूँ कहि सुबकिया सुन ले ना कोई।

थका सा मन गिरे से हाव-भाव,
डर लग रहा है कहि जान ले ना कोई।

लगी चोट दिल को बहुत गहरी,
अब इस दिल में कभी आएगा ना कोई।

हाल क्या से क्या हो गए आज मेरे,
उस बेवफा को मेरा हाल बता तो दे कोई।

भगवान “मंदीप” की बस फरियाद इतनी दिल दे सबको,
सच्चे दिल के साथ प्यार का खेल-खेले ना कोई।

मंदीपसाई

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