गरमी लाई छिपकली, छत पर दीखी आज (कुंडलिया)
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गरमी लाई छिपकली, छत पर दीखी आज (कुंडलिया)
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गरमी लाई छिपकली, छत पर दीखी आज
नन्ही चुहिया कह रही , घर में मेरा राज
घर में मेरा राज , मक्खियों के दल आते
ज्यों ही होती शाम , गीत मच्छर हैं गाते
कहते रवि कविराय, न झाड़ू में हो नरमी
वरना ढेरों रोग, सताऍंगे भर-गरमी
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रचयिता: रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा, रामपुर ,उत्तर प्रदेश
मोबाइल 99976 15451