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24 Feb 2023 · 1 min read

खुदारा मुझे भी दुआ दीजिए।

गज़ल

122…..122….122…..12
खुदारा मुझे भी दुआ दीजिए।
हुई है खता तो सजा दीजिए।

न पहला सबक प्यार का है पढ़ा,
मुहब्बत है क्या ये बता दीजिए।

धरम जाति बंधन हैं बाधा बनें,
दीवारें ये सारी गिरा दीजिए।

ये दिल आशिकी में ही बीमार है,
इसे इश्के मरहम लगा दीजिए।

न रोजी न रोजगार तुम दे सके,
मुझे साफ़ सुथरी हवा दीजिए।

मिलें हिंदू मुस्लिम इसाई व सिख,
रहें साथ मिलकर दुआ दीजिए।

मैं प्रेमी हूॅं कैदी, तेरे इश्क में,
जो हो फैसला वो सुना दीजिए।

……..✍️ सत्य कुमार प्रेमी

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