“खिलौने”
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“खिलौने”
रंग बिरंगें खिलौनो से दुकाने सजी
देख बच्चों को दुकानदार की बंशी बजी
खरीदने को इन्हें मन में लालसा जगी
बच्चों के मन को भाए खिलौने,
हैं इनके भिन्न भिन्न प्रकार
हर वर्ग के लिए बनाए आकार
शिशु के सपने दिखें होते साकार
युवा को भी लुभाएं खिलौने,
कोई भी चाहे आए मेहमान
चाहे कोई बने पकवान
इनकी दुनिया न्यारी महान
वृद्ध का मन ललचाएं खिलौने,
देख इन्हे बावरा मन ललचाए
मन ही मन हमको तरसाएं
मद में इनके सब बहक जाएं
मानव को हसाएं खिलौने ।