Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
10 Feb 2024 · 2 min read

क्रेडिट कार्ड

हो जाओ हर खुशी के लिए तैयार
ले लो हमारे बैंक का क्रेडिट कार्ड
फ्री है यह जादू की चिप्पी
ले आओ जीवन मे सुविधा की मस्ती
एक लाख का सामान लो उधार
अपने सपने के घर को दो आकार
छोटी सी ज़िन्दगी क्यो घुट घुट के जीना
परिचितो के सामने शर्म का घूंट क्यो पीना
कम तनख्वाह मे अमीरी अपनी दिखलाओ
56 इंच का स्मार्ट टी वी फौरन घर ले आओ
आत्मविश्वास अपने भीतर भरोगे
सबके सामने सीना तान के चलोगे
किश्तो मे पैसे चुकते जाएगें
घरवाले भी अपना पूरा प्यार लुटाएगें

फोन पर मीठी बोली ने कर दिया कोई जादू
हामी भर झट पूरा किया कार्ड अपने काबू
तीन दिन मे कार्ड अपने हाथ था
लंबा छोटे अक्षरो मे लिखा पर्चा साथ था
चिट्ठी सहित पर्चे को बेग मे संभाला
नए नवेले कार्ड को एहतियात से खीसे मे डाला
जेब मे लाख रूपए होने के भाव से सीना कुछ फूल गया
घरवाली को प्रसन्न करने का अवसर मन मे घूम गया
साडी , जेवर, ओवन, या अलमारी ले आऊ
जो भी हो फर्माइश मै पूरा करते जाऊ
पत्नी ने पूछा एक सवाल ,
कैसे और कब चुकेगा यह उधार का पहाड
क्या शर्ते पढ़ ली है श्रीमान
कागज को फिर से निकाला गया
लैंस लगा छोटे अक्षरो को बांचा गया
पढ़ने के साथ उत्साह ठंडा पडने लगा
भारी शर्तो से शरीर का ज्वार चढ़ने लगा
पुनर्भरण और पेनल्टी देख सर चकरा गया
अब तक आशा से चमकती आंखो के सामने
अंधेरा छा गया
थोडी देर के लिए मुट्ठी मे कैद दुनिया फिसल गई
मन की इच्छा टूटे स्वप्न सी बिखर गई
कार्ड को भरे मन से बटुए से आजाद किया
उधार लेकर घी ना पीने का प्रण कई बार किया

संदीप पांडे”शिष्य” अजमेर

Language: Hindi
4 Likes · 119 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Sandeep Pande
View all
You may also like:
"गुमान"
Dr. Kishan tandon kranti
मातृशक्ति को नमन
मातृशक्ति को नमन
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
■ सत्यानासी कहीं का।
■ सत्यानासी कहीं का।
*प्रणय प्रभात*
तुम्हीं रस्ता तुम्हीं मंज़िल
तुम्हीं रस्ता तुम्हीं मंज़िल
Monika Arora
दिवाली
दिवाली
Ashok deep
I love you
I love you
Otteri Selvakumar
सच तों आज कहां है।
सच तों आज कहां है।
Neeraj Agarwal
*जीवन का आधारभूत सच, जाना-पहचाना है (हिंदी गजल)*
*जीवन का आधारभूत सच, जाना-पहचाना है (हिंदी गजल)*
Ravi Prakash
यह जीवन भूल भूलैया है
यह जीवन भूल भूलैया है
VINOD CHAUHAN
3665.💐 *पूर्णिका* 💐
3665.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
Be with someone you can call
Be with someone you can call "home".
पूर्वार्थ
मेघ गोरे हुए साँवरे
मेघ गोरे हुए साँवरे
Dr Archana Gupta
"नाना पाटेकर का डायलॉग सच होता दिख रहा है"
शेखर सिंह
प्रेम पत्र बचाने के शब्द-व्यापारी
प्रेम पत्र बचाने के शब्द-व्यापारी
Dr MusafiR BaithA
मातृभूमि
मातृभूमि
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
कभी वो कसम दिला कर खिलाया करती हैं
कभी वो कसम दिला कर खिलाया करती हैं
Jitendra Chhonkar
बदलती जिंदगी की राहें
बदलती जिंदगी की राहें
ओमप्रकाश भारती *ओम्*
मां
मां
Dheerja Sharma
बड़े बुजुर्गों ,माता पिता का सम्मान ,
बड़े बुजुर्गों ,माता पिता का सम्मान ,
ओनिका सेतिया 'अनु '
चलो
चलो
हिमांशु Kulshrestha
नजदीकियां हैं
नजदीकियां हैं
surenderpal vaidya
हर क्षण  आनंद की परम अनुभूतियों से गुजर रहा हूँ।
हर क्षण आनंद की परम अनुभूतियों से गुजर रहा हूँ।
Ramnath Sahu
शायरी
शायरी
Jayvind Singh Ngariya Ji Datia MP 475661
यहां कश्मीर है केदार है गंगा की माया है।
यहां कश्मीर है केदार है गंगा की माया है।
सत्य कुमार प्रेमी
*** मुंह लटकाए क्यों खड़ा है ***
*** मुंह लटकाए क्यों खड़ा है ***
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
मौन मुसाफ़िर उड़ चला,
मौन मुसाफ़िर उड़ चला,
sushil sarna
तुम्हें लिखना आसान है
तुम्हें लिखना आसान है
Manoj Mahato
घाटे का सौदा
घाटे का सौदा
विनोद सिल्ला
प्रो. दलजीत कुमार बने पर्यावरण के प्रहरी
प्रो. दलजीत कुमार बने पर्यावरण के प्रहरी
Nasib Sabharwal
अवसाद
अवसाद
Dr. Rajeev Jain
Loading...