क्रव्याद
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क्रव्याद
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बैठा था शमशान में अकेला
देख रहा था चिताओंकी ज्वाला
रो रहे थे कोई, पर गमगीन मैं अकेला
ज्वाला में भस्म हो रही लकड़ियों पे
देखो वो जा रहा था, वो भी अकेला।।1।।
लाशों का अंबार जिसने झेला
वो डोम राजा बंबू लेके अकेला
रो रहे थे रिश्तेदार,लाश का बेटा बोला
डोम राजा जरा जल्दी में निपटा दो
बुड्ढे ने छोड़ा नहीं हैं एक भी धेला।।2।।
क्रव्याद के तांडव ने एक सच खोला
चिता पे चढ़ने तक सब मैं मैं बोला
पर इसके आगे तुम्हे जाना हैं अकेला
मुखाग्नि पश्चात बेटे ने अपना मोबाइल खोला
शोकसंदेश पढ़ते हुए वो भी रह गया अकेला ।।3।।
मंदार गांगल “मानस”
क्रव्याद – अग्नी का वो नाम “जिससे शव जलाया जाता हैं”