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27 Jan 2017 · 1 min read

कौवे सी चेष्टा

कौवे सी ही चेष्टा हो
बगुला सा ध्यान रहे
खोज में हरेक रोज
रहना बेताब है।।

श्वान वाली नींद सोओ
और अल्पाहार लेओ
गृह त्याग करने से
पा ही लोगे ख्वाब है।।

सब को बता ही देना
मंजिल मिलेगी तब
मन को ही अच्छा लगे
पढ़ना किताब है।।

हो सटीक तकनीक
का प्रयोग ठीक ठीक
प्रतिभागी उपयोगी
लाभ बेहिसाब है।

Language: Hindi
Tag: मुक्तक
382 Views

Books from साहेबलाल दशरिये सरल

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