Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
26 Mar 2024 · 1 min read

कौन हूँ मैं ?

कौन हूँ मैं ?

मैं कौन हूँ ? ये है एक सवाल।
आज तक स्वयं को ढ़ूंढ़ती रही,
इस उलझन को सुलझाती रही,
कहते हैं आईना सच बोलता है,
खुद को पहचानने की कोशिश करती रही आईने में,
मगर बाहरी आवरण ही दिखाई दी मुझे आईने में,
मेरे अंतर्मन की कोई झलक नहीं दिखाई दी आईने में,
मेरे दिल की कोई भी पीर नहीं दिखाई दी आईने में,
मेरे दिल के कोई भी भाव नहीं दिखाई दी आईने में,
मैंने जो देखना चाहा बस वही दिखाई दी आईने में,
मैं नहीं मानती आईना सच बोलता है ।
फिर मैं अपने आपको को कैसे देखूँ ?
ये है उलझन !
शायद जवाब दे मेरा अंतर्मन,
हाँ हाँ मेरा अंतर्मन,
यही मेरी पहचान मझसे करवाता है,
मेरा आईना बनकर मुझे मुझसे मिलवाता है,
मुझे दिलासा देकर हौसला बढ़ाता है,
जिंदगी इसी का नाम है कहकर आश्वासन देता है,
विरक्त भाव को दबा कर जिम्मेदारी का बोध कराता है,
और मैं सुख-दुःख समेटे जीवन पथ पर कदम उठाती जाती हूँ,
जीवनधारा में बहती जाती हूँ,
फिर भी मैं की तलाश पूरी नहीं होती,
उलझन बना ही रहता है
और सवाल उलझा ही रह जाता है |
कौन हूँ मैं ?

पूनम झा ‘प्रथमा’
जयपुर, राजस्थान

7 Likes · 1753 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
शॉल (Shawl)
शॉल (Shawl)
हिमांशु बडोनी (दयानिधि)
#लघुकथा
#लघुकथा
*प्रणय प्रभात*
गीतांश....
गीतांश....
Yogini kajol Pathak
कड़वा है मगर सच है
कड़वा है मगर सच है
Adha Deshwal
"अक्षर"
Dr. Kishan tandon kranti
हिम बसंत. . . .
हिम बसंत. . . .
sushil sarna
किताबें
किताबें
Dr. Pradeep Kumar Sharma
मन ,मौसम, मंजर,ये तीनों
मन ,मौसम, मंजर,ये तीनों
Shweta Soni
देश के दुश्मन कहीं भी, साफ़ खुलते ही नहीं हैं
देश के दुश्मन कहीं भी, साफ़ खुलते ही नहीं हैं
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
संघर्ष........एक जूनून
संघर्ष........एक जूनून
Neeraj Agarwal
उसका शुक्र कितना भी करूँ
उसका शुक्र कितना भी करूँ
shabina. Naaz
सफर दर-ए-यार का,दुश्वार था बहुत।
सफर दर-ए-यार का,दुश्वार था बहुत।
पूर्वार्थ
कान्हा मेरे जैसे छोटे से गोपाल
कान्हा मेरे जैसे छोटे से गोपाल
Harminder Kaur
आज का चयनित छंद
आज का चयनित छंद"रोला"अर्ध सम मात्रिक
rekha mohan
భరత మాతకు వందనం
భరత మాతకు వందనం
डॉ गुंडाल विजय कुमार 'विजय'
मेरे देश की मिट्टी
मेरे देश की मिट्टी
डॉ विजय कुमार कन्नौजे
सब छोड़ कर चले गए हमें दरकिनार कर के यहां
सब छोड़ कर चले गए हमें दरकिनार कर के यहां
VINOD CHAUHAN
ग़ज़ल
ग़ज़ल
Neelofar Khan
2798. *पूर्णिका*
2798. *पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
रिसाइकल्ड रिश्ता - नया लेबल
रिसाइकल्ड रिश्ता - नया लेबल
Atul "Krishn"
रिश्ता कभी खत्म नहीं होता
रिश्ता कभी खत्म नहीं होता
Ranjeet kumar patre
मोबाइल
मोबाइल
लक्ष्मी सिंह
बस भगवान नहीं होता,
बस भगवान नहीं होता,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
ज़माने की निगाहों से कैसे तुझपे एतबार करु।
ज़माने की निगाहों से कैसे तुझपे एतबार करु।
Phool gufran
परवरिश
परवरिश
Shashi Mahajan
#उलझन
#उलझन
krishna waghmare , कवि,लेखक,पेंटर
" उज़्र " ग़ज़ल
Dr. Asha Kumar Rastogi M.D.(Medicine),DTCD
मुझे तुमसे अनुराग कितना है?
मुझे तुमसे अनुराग कितना है?
Bodhisatva kastooriya
भूल ना था
भूल ना था
भरत कुमार सोलंकी
फितरत
फितरत
Anujeet Iqbal
Loading...