Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
10 Oct 2022 · 1 min read

कैसे कितने चेहरे बदलकर

कैसे कितने चेहरे बदलकर, लोग यहाँ रहते हैं।
मुहँ में राम बगल में छुरी,लिये हुए मिलते हैं।।
कैसे कितने चेहरे बदलकर—————–।।

स्वार्थ अपना देखकर लोग, छोड़ देते हैं अपनों को।
करके खून रिश्तों का भी, पूरा करते हैं सपनों को।।
ऐसे ही तो बनकर खिलाड़ी,खेल क्या क्या रचते हैं।
मुहँ में राम बगल में छुरी, लिये हुए मिलते हैं।।
कैसे कितने चेहरे बदलकर——————।।

खुद को दिखाने को बेदाग,पापी कहते हैं औरों को।
ओढ़कर चौला सज्जन का,बर्बाद करते हैं औरों को।।
कहते हैं खुद को दीपक, मगर औरों के घर जलाते हैं।
मुहँ में राम बगल में छुरी , लिये हुए मिलते हैं।।
कैसे कितने चेहरे बदलकर——————।।

खुद को धनवान कहते हैं, लेकिन मन में नहीं दया शर्म।
राह बदलते हैं देख गरीब को, ऐसा ही है उनका धर्म।।
कहते हैं खुद को ज्ञानी पुरुष,मन में कपट वो रखते हैं।
मुहँ में राम बगल में छुरी, लिये हुए मिलते हैं।।
कैसे कितने चेहरे बदलकर——————।।

शिक्षक एवं साहित्यकार-
गुरुदीन वर्मा उर्फ जी.आज़ाद
तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान)
मोबाईल नम्बर – 9571070847

Language: Hindi
Tag: गीत
87 Views
You may also like:
अब हमें ख़्वाब थोड़ी आते हैं
अब हमें ख़्वाब थोड़ी आते हैं
Dr fauzia Naseem shad
मुकद्दर।
मुकद्दर।
Taj Mohammad
जहां तक रास्ता दिख रहा है वहां तक पहुंचो तो सही आगे का रास्त
जहां तक रास्ता दिख रहा है वहां तक पहुंचो तो...
dks.lhp
साहस
साहस
श्री रमण 'श्रीपद्'
*कभी झुकना भी पड़ता है (मुक्तक)*
*कभी झुकना भी पड़ता है (मुक्तक)*
Ravi Prakash
डगर-डगर नफ़रत
डगर-डगर नफ़रत
Dr. Sunita Singh
The blue sky !
The blue sky !
Buddha Prakash
लग्न वाला माह
लग्न वाला माह
Shiva Awasthi
■ आज का विचार
■ आज का विचार
*Author प्रणय प्रभात*
भारत के 'लाल'
भारत के 'लाल'
पंकज कुमार कर्ण
पैर नहीं चलते थे भाई के, पर बल्ला बाकमाल चलता था । मैं हमेशा से जानता था  कि ये
पैर नहीं चलते थे भाई के, पर बल्ला बाकमाल चलता...
ब्रजनंदन कुमार 'विमल'
51-   प्रलय में भी…
51- प्रलय में भी…
Rambali Mishra
उससे दिल मत लगाना जिससे तुम्हारा दिल लगे
उससे दिल मत लगाना जिससे तुम्हारा दिल लगे
कवि दीपक बवेजा
कुछ लोग किरदार ऐसा लाजवाब रखते हैं।
कुछ लोग किरदार ऐसा लाजवाब रखते हैं।
Surinder blackpen
मूं खड़ो हूँ चुणावा म
मूं खड़ो हूँ चुणावा म
gurudeenverma198
सामन्जस्य
सामन्जस्य
DR ARUN KUMAR SHASTRI
ग्रीष्म की तपन
ग्रीष्म की तपन
डॉ. रजनी अग्रवाल 'वाग्देवी रत्ना'
मन के पार
मन के पार
Dr Rajiv
RV Singh
RV Singh
Mohd Talib
प्रश्चित
प्रश्चित
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
गद्दार
गद्दार
Shekhar Chandra Mitra
बिहार का जालियांवाला बाग - तारापुर
बिहार का जालियांवाला बाग - तारापुर
विक्रम कुमार
प्रीतम दोहावली
प्रीतम दोहावली
आर.एस. 'प्रीतम'
साजन तेरे गाँव का, पनघट इतना दूर
साजन तेरे गाँव का, पनघट इतना दूर
Dr Archana Gupta
ग़ज़ल - राना लिधौरी
ग़ज़ल - राना लिधौरी
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
【21】 *!* क्या हम चंदन जैसे हैं ? *!*
【21】 *!* क्या हम चंदन जैसे हैं ? *!*
Arise DGRJ (Khaimsingh Saini)
ये अनुभवों की उपलब्धियां हीं तो, ज़िंदगी को सजातीं हैं।
ये अनुभवों की उपलब्धियां हीं तो, ज़िंदगी को सजातीं हैं।
Manisha Manjari
आशाओं के दीप जलाए थे मैने
आशाओं के दीप जलाए थे मैने
Ram Krishan Rastogi
💐प्रेम कौतुक-320💐
💐प्रेम कौतुक-320💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
Advice
Advice
Shyam Sundar Subramanian
Loading...