कुण्डलिया-मणिपुर
![](https://cdn.sahityapedia.com/images/post/93c41e668fd892c021a6f48a66d4b4c9_c411598eb5d7a4f6ddbf3c7ba7ea17bb_600.jpg)
कुण्डलिया-मणिपुर
रही तड़पती द्रौपदी, बिधता रहा शरीर।
दु:शासनों की भीड़ में, वह थी नग्न शरीर।।
वह थी नग्न शरीर, शरीर नोच कर खावें।
दानव दल की भीड़, में कौन जान बचावे।।
कौन दिया आदेश, आज भीड़ को सौंप दी।
कर-कर करुण पुकार, रही तड़पती द्रौपदी।।
©दुष्यन्त ‘बाबा’