कुछ दिन से हम दोनों मे क्यों? रहती अनबन जैसी है।
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कुछ दिन से हम दोनों मे क्यों? रहती अनबन जैसी है।
बात – बात पर रोती हो तुम, आदत बचपन जैसी है।
स्वीकारो विधि का निर्णय, मत अश्रु बहाओ व्यर्थ प्रिये
समझो अपनी किस्मत भी उस ,”गुंजा – चंदन” जैसी है।
– अभिनव अदम्य