Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
22 Feb 2024 · 1 min read

“कुछ तो गुना गुना रही हो”

मन ही मन कुछ तो गुन-गुना रही हो, क्या कोई ख़ास नज़्म लिखी है,
जो पहाड़ों में बैठ ये अस्मां में फैले बादलों को सुना रही हो,
मौसम पहाड़ो का हसीन सा लग रहा है,
जैसे फ़िज़ाओं में कुछ रंग इश्क़ का घुल रहा है,
दूर खड़ा तुम्हें देख रहा हूँ मैं, तुम्हारे मन में बसी उस नज़्म को तुम्हारे हूठों से सुनने को बेसब्र सा हो रहा हूँ मैं,
सुनो तुम्हारे कप-कापते हूठों से अपना नाम सुनने को मचल सा रहा हूँ मैं।❤️

“लोहित टम्टा”

1 Like · 154 Views

You may also like these posts

मुक्तक
मुक्तक
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
*कलम उनकी भी गाथा लिख*
*कलम उनकी भी गाथा लिख*
Mukta Rashmi
लम्हें हसीन हो जाए जिनसे
लम्हें हसीन हो जाए जिनसे
शिव प्रताप लोधी
अभी भी बहुत समय पड़ा है,
अभी भी बहुत समय पड़ा है,
शेखर सिंह
पहले लोगों ने सिखाया था,की वक़्त बदल जाता है,अब वक्त ने सिखा
पहले लोगों ने सिखाया था,की वक़्त बदल जाता है,अब वक्त ने सिखा
Ranjeet kumar patre
चाणक्य सूत्र
चाणक्य सूत्र
Rajesh Kumar Kaurav
ॐ
सोलंकी प्रशांत (An Explorer Of Life)
पाती प्रभु को
पाती प्रभु को
Saraswati Bajpai
वरिष्ठ जन
वरिष्ठ जन
डॉ. शिव लहरी
ज़िन्दगी के
ज़िन्दगी के
Santosh Shrivastava
याद करने पर याद करता है ,
याद करने पर याद करता है ,
Dr fauzia Naseem shad
*अंग्रेजी राज में सुल्ताना डाकू की भूमिका*
*अंग्रेजी राज में सुल्ताना डाकू की भूमिका*
Ravi Prakash
..
..
*प्रणय*
कितना और बदलूं खुद को
कितना और बदलूं खुद को
इंजी. संजय श्रीवास्तव
बन बादल न कोई भरा
बन बादल न कोई भरा
पूनम 'समर्थ' (आगाज ए दिल)
क्या से क्या हो गया?
क्या से क्या हो गया?
Rekha khichi
सुविचार
सुविचार
विनोद कृष्ण सक्सेना, पटवारी
सहज गैर के पास
सहज गैर के पास
RAMESH SHARMA
4185💐 *पूर्णिका* 💐
4185💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
सिर्फ जो उठती लहर व धार  देखेगा
सिर्फ जो उठती लहर व धार देखेगा
Anil Mishra Prahari
रिश्ते भूल गये
रिश्ते भूल गये
पूर्वार्थ
निलगाइन के परकोप
निलगाइन के परकोप
अवध किशोर 'अवधू'
- जनता है त्रस्त नेता है मस्त -
- जनता है त्रस्त नेता है मस्त -
bharat gehlot
चुनावी खेल
चुनावी खेल
Dhananjay Kumar
मां वाणी के वरद पुत्र हो भारत का उत्कर्ष लिखो।
मां वाणी के वरद पुत्र हो भारत का उत्कर्ष लिखो।
Prabhu Nath Chaturvedi "कश्यप"
इतना कभी ना खींचिए कि
इतना कभी ना खींचिए कि
Paras Nath Jha
धीरे _धीरे ही सही _ गर्मी बीत रही है ।
धीरे _धीरे ही सही _ गर्मी बीत रही है ।
Rajesh vyas
दीपावली स्वर्णिम रथ है
दीपावली स्वर्णिम रथ है
Neelam Sharma
नमी आंखे....
नमी आंखे....
Naushaba Suriya
मगध की ओर
मगध की ओर
श्रीहर्ष आचार्य
Loading...