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18 Mar 2017 · 1 min read

~~किस्मत के खेल निराले~~

तेरी दुनिया में हैं,
किस्मत के खेल निराले
कोई किसी चीज को
तरस रहा कोई किसी
से हो रहा है परेशान

किसी को दिया इतना कि
वो समेट नहीं पा
रहा, किसी को
इच्छा इतनी कि वो
उस को नहीं है पा रहा

किसी को महलों में
भी सकूं नहीं मिल रहा
कोई झोपड़ी में हर दिन
गुजार रहा

जीवन में तू किस
को क्या सौंप दे
यह लीला तो तेरी ही है
मैने तो देखे चाहे
किसी के पास कितना भी क्यूं न हो
तेरे आगे सब भिखारी ही हैं

अजीत कुमार तलवार
मेरठ

Language: Hindi
Tag: कविता
1 Like · 676 Views

Books from गायक और लेखक अजीत कुमार तलवार

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