“किस्मत की लकीरों पे यूँ भरोसा ना कर”
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किस्मत की लकीरों पे यूँ भरोसा ना कर
धोखा किस्मत भी देती है रूठने के बाद
इन परिंदो पे इतना नाज़ ना कर ए दरख्त
घर बदलेंगे सबसे पहले तेरे सूखने के बाद
नेताओ की बात का ऐतबार नहीं करना
चाट लेते है ये कई दफा थूकने के बाद
निशाना ठीक से लगाया कर तीरअंदाज़
तरकश में नहीं लौटता तीर छूटने के बाद
इश्क़ में ग़ाफ़िल कुछ इस कदर हुवे राणाजी
तौबा नहीं की इश्क़ से दिल टूटने के बाद
©ठाकुर प्रतापसिंह”राणाजी
सनावद (मध्यप्रदेश)