कागज की कश्ती
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अच्छा हुआ कोई दिल की 🎉”
सुनने वाला नहीं मिला
जो दिल में आया वो
काग़ज़ पर लिख दिया
जो लिख दिया तो,सबने
पढ़ लिया “
“सबने कहाँ तुमने तो हमारे दिल
का हाल लिख दिया
मैंने तो अपने दिल का हाल
लिखा था
सबके दिल का फसाना
आशिके तराना एक ही सा था .
सबका सवाल एक ही था ……
विचारों का तूफ़ान भी एक ही
था ….
फिर सबने मिल बैठ कर अपने
दिल का …..
बोझ हल्का कर लिया “🎉🎉
“काग़ज़ की कश्ती बनायीं
स्याही में क़लम डुबाई
दिल की बात शब्दों के
माध्यम से विचारों में परिवर्तित
हो आख़िर दिल से बाहर आयी
सभी उस कश्ती में सवार थे जो
मेरी भी कश्ति थी।