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14 Jul 2023 · 1 min read

कहानी इश्क़ की

उसने कहा और मैं मान गया
दिल खिला और फिर टूट गया
है कहानी बस इतनी मेरे इश्क़ की
साथ मिला और फिर छूट गया

जाने क्यों कूदना चाहता था
मैं इस आग के दरिया में
जलना तो इसमें यकीनन था
था जो पास वो भी छूट गया

दे गया एक अनजान दर्द दिल को
क्यों वो मिला जो अब रूठ गया
दिखता नहीं किसी को दर्द उस बाग का
जहां फूल खिला और फिर सूख गया

हम तो चाहते थे हमें सुकून मिले
दिल में उसके थोड़ी सी जगह मिले
जगह मिली भी दिल को ख़ुशी भी हुई
वो ख़्वाब लेकिन जल्दी ही टूट गया

रब की रज़ा मेरी सज़ा बन गई
जबसे वो मेरा चैन लूट गया
गया है जबसे वो ज़िंदगी से मेरी
मेरा तो जीना भी छूट गया

दिल नहीं लगता कहीं भी अब
बस उसकी याद में खोया रहता हूं
जबसे चला गया वो मुझे अकेला छोड़कर
मेरा नसीब भी अब तो मुझसे रूठ गया।

14 Likes · 1 Comment · 2360 Views
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