कहां जाके लुकाबों
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विषय
कहां जाके लुकाबों
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जंगल झाड़ी चातर होवत हे,
चार तेंदू कहां ले पाबों।
बघवा भलुवा शहर धरत हे
कहां जाके हमन लुकाबों।।
रूख राई खोजे नई मिलय
आक्सीजन कहां ले पाबों।
जंगल सिपाही चोरहा लबरा
अब कोन ला जाके बताबों।।
जंगल झाड़ी चातर होवत हे
चार तेंदू कहां से पाबों।
बेंदरा भलुवा गांव मां घुसते हे
कहां जाके अब लुकाबों।।
बेटा मारय बाप घलो ल ,
बहिनी के इज्जत लुटत हे।
घोर अत्याचार कलजुग मां,
विजय के पसीना छुटत हे।।
बोये हावन बमरी ला तब
आम कहां ले पाबों।
जंगल झाड़ी चातर होवत हे
कहां जाके लुकाबों।।
जंगल के रहइया हाथी बरहा
अब गांव कोती बर आवत हे।
कहां रही वहु बपरा मन सब
जब जंगल झाड़ी कटावत हे।
जइसन करनी करत हन संगी
वोइसने फल ला पाबों।
जंगली जानवर गांव आवत हे
अब कहां जाके लुकाबों।।
रचनाकार
डॉ विजय कुमार कन्नौजे छत्तीसगढ़ रायपुर आरंग अमोदी