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18 Sep 2022 · 1 min read

कहाँ मिलेंगे तेरे क़दमों के निशाँ

कहाँ मिलेंगे तेरे क़दमों के निशाँ
ये बता दो कान्हा

कहाँ होंगे तेरी मोहिनी सूरत के दीदार
ये बता दो कान्हा

कहाँ मिलेंगे तेरी रास लीला के निशाँ
ये बता दो कान्हा

कहाँ सुनाई देगी तेरी बांसुरी की धुन
ये बता दो कान्हा

कहाँ मिलेंगे तेरे सखा सुदामा
ये बता दो कान्हा

कहाँ सुनाई देंगे , गौओं की घंटी के स्वर
ये बता दो कान्हा

कहाँ मिलेंगे तेरे सखा तेरे मित्र
ये बता दो कान्हा

किस तरह मैं तेरा शागिर्द हो जाऊँ
ये बता दो कान्हा

कहाँ मिलेंगे तेरे क़दमों के निशाँ
ये बता दो कान्हा

कहाँ होंगे तेरी मोहिनी सूरत के दीदार
ये बता दो कान्हा

2 Likes · 2 Comments · 96 Views
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Books from अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'

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