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7 Feb 2017 · 1 min read

कल्याणी

” कल्याणी ”
“””””””””””””””””””

तू आदि शक्ति !
विधाता की
और बहिन बनी ,
तुम भ्राता की |
साध्य बनती !
तू साधक की
और ध्येय बनी
तू ध्याता की ||
माता बनकर
सृजन करती
और प्रीत संजोती
तू राधा बन |
बेटी बन
तू स्नेहा बनती
और पत्नी बन
तू ब्याहता ||
हे नारी !
तू सृष्टि सारी !
निर्माण करे
तू जग सारा |
“दीप” के जैसी
जगमग करती !
और कहलाती
तू ! कल्याणी ||

“””””””””””””””””””””””””””””””
डॉ०प्रदीप कुमार “दीप”
“””””””””””””””””””””””””””””””

Language: Hindi
Tag: कविता
194 Views

Books from डॉ०प्रदीप कुमार दीप

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