*करते हैं प्रभु भक्त पर, निज उपकार अनंत (कुंडलिया)*
![](https://cdn.sahityapedia.com/images/post/a07c908835b8700044f9592b6b544138_ba499b111eec103e3f14eb0853f87c81_600.jpg)
करते हैं प्रभु भक्त पर, निज उपकार अनंत (कुंडलिया)
————————–
करते हैं प्रभु भक्त पर ,निज उपकार अनंत
चलते – चलते राह में ,मिल जाते हैं संत
मिल जाते हैं संत ,दिशा जीवन की देते
जन्म – जन्म के पाप ,सोख भीतर से लेते
कहते रवि कविराय ,भाग्य से मानव तरते
उन्हें मिलाते संत ,कृपा प्रभु जिन पर करते
——————————-
रचयिता : रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99976 15451
————————
अनंत = जिसका अंत न हो ,असीम