ऑपरेशन सफल रहा( लघु कथा)
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ऑपरेशन सफल रहा( लघु कथा)
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ऑपरेशन थिएटर से जब डॉक्टर दीपक बाहर आए तो दस बारह लोग चिंता की मुद्रा में खड़े हुए थे। डॉक्टर दीपक ने प्रसन्नता से भरकर उनसे कहा “ऑपरेशन सफल रहा, मरीज खतरे से बाहर है”
सुनकर खुशी की लहर दौड़ गई ।एक-एक करके सबने डॉक्टर दीपक को शुभकामनाएं दीं। इसके बाद डॉक्टर दीपक अपने चेंबर में चले गए और मरीज के साथ आए हुए लोग सब इधर-उधर होने लगे।
चेंबर में डॉक्टर दीपक के साथी डॉक्टर सुभाष बैठे हुए थे। प्रश्नवाचक मुद्रा में उन्होंने पूछा” क्या हुआ ? ”
डॉक्टर दीपक ने इस बार चेहरे पर बगैर कोई भाव लाए हुए बताया “मरीज बच गया।”
” भगवान का शुक्र है ,इस बार भी आपकी किस्मत अच्छी रही ।..वैसे एक बात कहूं ! आप ऐसे केस हाथ में क्यों लेते हैं, जिसमें मरीज के बचने की गुंजाइश दस-पाँच प्रतिशत ही होती है ?”
डॉक्टर दीपक ने कहा “मैं ऐसे मरीजों के केस जिनमें उनके बचने की गुंजाइश 10- 5% होती है इसलिए लेता हूं क्योंकि मेरे पास अभी तक कोई ऐसा मरीज नहीं आया जिस के बचने की उम्मीद केवल 1% हो। अगर आएगा तो मैं उसको भी बचाने की पूरी कोशिश करूंगा।”
” यह बहुत खतरनाक है ।आप देख रहे हैं, अगर मरीज को कुछ हो गया तो उसके साथ वाले लोग डॉक्टर को जान से मारने पर तुल जाते हैं ।”
“मृत्यु और जीवन भगवान के हाथ में है। डॉक्टर सिर्फ इलाज कर सकता है और मैं इलाज करना बंद नहीं करूंगा” डॉक्टर दीपक ने दृढ़ता पूर्वक यह बात कह तो दी लेकिन डॉक्टर सुभाष की इस प्रतिक्रिया को वह ठीक प्रकार से नहीं सुन सके जो बुदबुदाहट के रूप में आई थी ..”हे भगवान ! पता नहीं कल को क्या हो ?”
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लेखक : रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा ,रामपुर( उत्तर प्रदेश)
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