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12 Feb 2017 · 1 min read

ऑगन का कानून

*________ऑगन का कानून________*
सन्नाटे को तोड़ रहा हूं सिर पर आफत लादे !
ऑगन के कानून अलग है समझ_समझ हम आधे !
सुन्दरता के चेहरे उखडे़ भोलेपन के नक्शे !
टूट रही मुस्कान बिखर कर फर्श नही कुछ बख्शे !
छनछनाकर गिरी कटोरी करती व्यक्त इरादे !
सोच हवा में तेरे पहले गठिया बात हुई !
चुभी हुई हड्डी के अन्दर चलने लगी सुई !
बहुत सहज है सुख का अनुभव दुख की माप बता दे !
जलते वन में शीतलता की एक ध्वनि रस धोले !
धर ऑगन उपवन में कोयल कुहुक_कुहुक ज्यो बोले !
वश में हाथी को करते हैं चीटी जैसे प्यादे !
ऑगन के कानून अलग है समझ_समझ हम आधे !
*@सर्वाधिकार सुरक्षित*
*विनय पान्डेय*

Language: Hindi
Tag: कविता
406 Views
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