ऐसे लहज़े में जब लिखते हो प्रीत को,
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ऐसे लहज़े में जब लिखते हो प्रीत को,
भावनाएं गा उठती है सुन के उस संगीत को,
कभी लेखनी से सृजन करो ऐसा
पढ़ कर जो मोह ले अमित को
ऐसे लहज़े में जब लिखते हो प्रीत को,
भावनाएं गा उठती है सुन के उस संगीत को,
कभी लेखनी से सृजन करो ऐसा
पढ़ कर जो मोह ले अमित को