Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
15 Aug 2016 · 1 min read

ऐसी आज़ादी से गुलामी अच्छी थी

कित के आज़ाद होये हाम चैन सुख म्हारा खोग्या।
दो टुकड़े होये भारत माता के न्यू जुल्म घना होग्या।।

इसी आज़ादी त हाम सौ गुणा गुलाम भले थे।
रोज के होते बलात्कारां त वे कत्लेआम भले थे।
आज के नेताओं त वे अंग्रेज बदनाम भले थे।
सब जान के भी कुछ ना कर सकदे न्यू रोम रोम रोग्या।।

तन त आज़ाद होग्ये पर सोच रही गुलामा आली।
कुछ भूखे मरें आड़े कुछ कर रहे कमाई काली।
तमाशगर बने हम देखाँ तमाशा बजावाँ ताली।
बने जुल्मी अन्यायी हाम म्हारा जमीर भी सोग्या।।

पहले अंग्रेज लुटा करते हमने आज अपने लूटें।
कुछ लोग देश नै अपनी प्रोपर्टी समझ ऐश कुटें।
दीमक ज्यूँ म्हारे देश नै भीतर ऐ भीतर वे चुटें।
पल पल रंग बदलें देख गिरगिट बी मुंह लकोग्या।।

गरीबां के मुंह का निवाला, शहीदां का कफ़न बेचें।
चंद सोने चाँदी के सिक्कां खातर अपना वतन बेचें।
आज़ादी का के फायदा जब भूखे मरदे लोग तन बेचें।
“”सुलक्षणा”” तेरा लिखना बदलाव का बीज बोग्या।।

445 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.

You may also like these posts

छोटी कहानी- 'सोनम गुप्ता बेवफ़ा है' -प्रतिभा सुमन शर्मा
छोटी कहानी- 'सोनम गुप्ता बेवफ़ा है' -प्रतिभा सुमन शर्मा
Pratibhasharma
समय का निवेश:
समय का निवेश:
पूर्वार्थ
समय की बात है
समय की बात है
Atul "Krishn"
*बिना तुम्हारे घर के भीतर, अब केवल सन्नाटा है ((गीत)*
*बिना तुम्हारे घर के भीतर, अब केवल सन्नाटा है ((गीत)*
Ravi Prakash
विषय:गुलाब
विषय:गुलाब
Harminder Kaur
बड़े नहीं फिर भी बड़े हैं ।
बड़े नहीं फिर भी बड़े हैं ।
अभिषेक पाण्डेय 'अभि ’
सहसा यूं अचानक आंधियां उठती तो हैं अविरत,
सहसा यूं अचानक आंधियां उठती तो हैं अविरत,
Abhishek Soni
زخم اتنے مل چکے ہیں تتلیوں س
زخم اتنے مل چکے ہیں تتلیوں س
अरशद रसूल बदायूंनी
" फर्क "
Dr. Kishan tandon kranti
शिलामय हो जाना
शिलामय हो जाना
Saraswati Bajpai
बात पते की कहती नानी।
बात पते की कहती नानी।
Vedha Singh
गुलामी के कारण
गुलामी के कारण
डॉ विजय कुमार कन्नौजे
तन मन धन से लूटते,
तन मन धन से लूटते,
sushil sarna
3598.💐 *पूर्णिका* 💐
3598.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
राम के जैसा पावन हो, वो नाम एक भी नहीं सुना।
राम के जैसा पावन हो, वो नाम एक भी नहीं सुना।
सत्य कुमार प्रेमी
*हमारा छत्तीसगढ़ महान है*
*हमारा छत्तीसगढ़ महान है*
Krishna Manshi
जो जैसे होते हैं
जो जैसे होते हैं
सोनम पुनीत दुबे "सौम्या"
सावन तब आया
सावन तब आया
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
तुम्हारी जय जय चौकीदार
तुम्हारी जय जय चौकीदार
Shyamsingh Lodhi Rajput "Tejpuriya"
पहला पहला प्यार
पहला पहला प्यार
Rekha khichi
#अपनाएं_ये_हथकंडे...
#अपनाएं_ये_हथकंडे...
*प्रणय*
दर-बदर की ठोकरें जिन्को दिखातीं राह हैं
दर-बदर की ठोकरें जिन्को दिखातीं राह हैं
Manoj Mahato
लक्ष्य एक होता है,
लक्ष्य एक होता है,
नेताम आर सी
कनक थाल बैठे दो दीपक
कनक थाल बैठे दो दीपक
Madhuri mahakash
रक्त एक जैसा
रक्त एक जैसा
Dinesh Kumar Gangwar
माटी करे पुकार 🙏🙏
माटी करे पुकार 🙏🙏
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
आजादी: एक संघर्ष
आजादी: एक संघर्ष
प्रणव राज
अनोखा बंधन...... एक सोच
अनोखा बंधन...... एक सोच
Neeraj Kumar Agarwal
मुखौटा!
मुखौटा!
कविता झा ‘गीत’
रमेशराज की माँ विषयक मुक्तछंद कविताएँ
रमेशराज की माँ विषयक मुक्तछंद कविताएँ
कवि रमेशराज
Loading...