“उम्मीदों की जुबानी”
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“उम्मीदों की जुबानी”
गर आशा को दोस्त कहते हो
तो निराशा को दुश्मन मत मानो
कभी-कभी निराशा के सिवा
कोई रंग न बचता जिन्दगी में,
उस आसमान में चाँद भी तो
हमेशा खिला दिखता नहीं
कभी-कभी अन्धेरा के सिवा
कुछ भी न सजता जिन्दगी में।