उफ़ तेरी ये अदायें सितम ढा रही है।
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उफ़ तेरी ये अदायें सितम ढा रही है।
दीवानों को कितना ये तड़पा रही है ।
लगे ना नज़र तेरे चेहरे को उम्र भर।
जवानी मौहब्बत को झुठला रही है।।
Phool gufran
उफ़ तेरी ये अदायें सितम ढा रही है।
दीवानों को कितना ये तड़पा रही है ।
लगे ना नज़र तेरे चेहरे को उम्र भर।
जवानी मौहब्बत को झुठला रही है।।
Phool gufran